Swadeshi Chikitsa By Rajiv Dixit volume 1 free pdf download

 Swadeshi Chikitsa By Rajiv Dixit volume 1 

(स्वदेशी चिकित्सा)

हैलो दोस्तो,

आप सभी तो राजीव दीक्षित जी से परिचित होंगे ही । देश के आयुर्वेदिक चिकित्सा को जन जन तक पहुंचाने का कार्य राजीव भाई ने पूरे साहस और लगन से किया। उन्ही के संकलन में आधारित स्वदेशी चिकित्सा पुस्तक मैं आपको उपल्ब्ध करा रहा हूं। यह बुक 4 पार्ट में है जिसे आप नीचे दिए लिंक से डाऊनलोड कर सकते हैं।

Swadeshi chikitsa
Swadeshi chikitsa

Swadeshi chikitsa पुस्तक के बारे में:-

भारत में जिस शास्त्र की मदद से निरोगी होकर जीवन व्यतीत करने का ज्ञान मिलता है उसे आयुर्वेद कहते है । आयुर्वेद में निरोगी होकर जीवन व्यतीत करना ही धर्म माना गया है । रोगी होकर लम्बी आयु को प्राप्त करना या निरोगी होकर कम आयु को प्राप्त करना दोनों ही आयुर्वेद में मान्य नहीं है । इसलिये जो भी नागरिक अपने जीवन को निरोगी रखकर लम्बी आयु चाहते हैं , उन सभी को आयुर्वेद के ज्ञान को अपने जीवन में धारण करना चाहिए । 

निरोगी जीवन के बिना किसी को भी , सुख की प्राप्ति , धर्म की प्रप्ति नहीं हो सकती है । रोगी व्यक्ति किसी भी तरह का सुख प्राप्त नहीं कर सकता है । रोगी व्यक्ति कोई भी कार्य करके ठीक से धन भी नहीं कमा सकता है । हमारा स्वस्थ शरीर ही सभी तरह के ज्ञान को प्राप्त कर सकता है । शरीर के नष्ट हो जाने पर संसार की सभी वस्तुयें बेकार हैं । यदि स्वस्थ शरीर है तो सभी प्रकार के सुखों का आनन्द लिया जा सकता है । दुनिया में आयुर्वेद ही एक मात्र शास्त्र या चिकित्सा पद्धति है जो मनुष्य को निरोगी जीवन देने की गारंटी देता है । बाकी अन्य सभी चिकित्सा पद्धतियों में " पहले बीमार बनें फिर आपका इलाज किया जायेगा , लेकिन गारंटी कुछ भी नहीं है । 

आयुर्वेद एक शाश्वत एवं सातत्य वाला शास्त्र है । इसकी उत्पत्ति सृष्टि के रचियता श्री ब्रहृमाजी के द्वारा हुई ऐसा कहा जाता है । ब्रहृमाजी ने आयुर्वेद का ज्ञान दक्ष प्रजापति को दिया । श्री दक्ष प्रजापति ने यह ज्ञान अश्विनी कुमारों को दिया । उसके बाद यह ज्ञान देवताओं के राजा इन्द्र के पास पहुँचा । देवराजा इन्द्र ने इस ज्ञान को ऋषियों - मुनियों जैसे आत्रेय , पुतर्वसु आदि को दिया । उसके बाद यह ज्ञान पृथ्वी पर फैलता चला गया । इस ज्ञान को पृथ्वी पर फैलाने वाले अनेक महान ऋषि एवं वैद्य हुये हैं । जो समय - समय पर आते रहे और लोगों को यह ज्ञान देते रहे हैं । जैसे चरक ऋषि , सुश्रुत , आत्रेय ऋषि , पुनर्वसु ऋषि , काश्यप ऋषि आदि - आदि । इसी श्रृंखला में एक महान ऋषि हुये वाग्भट्ट ऋषि जिन्होंने आयुर्वेद के ज्ञान को लोगों तक पहुँचाने के लिये एक शास्त्र की रचना की , जिसका नाम " अष्टांग हृदयम् । इस अष्टांग हृदयम् शास्त्र में लगभग 7000 श्लोक दिये गये है । ये श्लोक मनुष्य जीवन को पूरी तरह निरोगी बनाने के लिये हैं । प्रस्तुत पुस्तक में कुछ श्लोक , हिन्दी अनुवाद के साथ दिये जा रहे हैं । इन श्लोकों का सामान्य जीवन में अधिक से अधिक उपयोग हो सके इसके लिये विश्लेषण भी सरल भाषा में देने की कोशिश की गयी है ।

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